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बे-ईमान

Shayari
Shayari
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ग़र उम्मीद–ए–विसाल–ए–यार–ओ–निगाह रहा !!

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मुज़ह्मत–ए–राह–ए–मर्ग वफ़ा–ए–मुहब्बत रहा !!

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शब् भर मगर मेरा कशना–ओ–ख्व़ाब जलता रहा !!

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कहाँ बहके ये दिल, रोता ग़र आतिश हर लम्हा रहा !!
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विसाल = मिलना, मुज़ह्मत = रुकावट, मर्ग = मौत,
मयस्सर = ज़रूरी, कशना = घर

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